Tribute to Anurag Sharma: चला गया खेत-खलिहान और विज्ञान का दोस्त अनुराग शर्मा

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वरिष्ठ पत्रकार और दूरदर्शन के पूर्व सलाहकार अनुराग शर्मा का निधन हो गया है। वह कृषि, पर्यावरण और विज्ञान से जुड़े विषयों पर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे। वह दूरदर्शन से एक दशक से भी ज्यादा समय से जुड़े रहे।
कुछ लोग दुनिया में सिर्फ़ जीने नहीं आते, वो जीते-जागते मिशन होते हैं। अनुराग उन्हीं लोगों में से एक थे। उनका जाना एक व्यक्ति का जाना नहीं है, एक विचार, एक रास्ते, एक उजाले का कम हो जाना है।


वो एक ऐसे इंसान थे, जो मदद करने के लिए कभी नहीं रुके। न जान-पहचान का सवाल, न मतलब की ज़रूरत। किसी को मदद चाहिए, तो अनुराग हमेशा तैयार। वो इंसान जो दूसरों के लिए जिया और आख़िरी सांस तक इसी कोशिश में रहा कि जो कुछ भी सीखा है, वो दूसरों को दे सके।
अनुराग का शरीर भले ही कमज़ोर होता जा रहा था, लेकिन उनकी आत्मा कभी थकी नहीं। ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर भी वो सक्रिय थे, काम कर रहे थे, लोगों से मिल रहे थे, और प्रेरणा दे रहे थे। ज़िंदगी से कभी हार नहीं मानी। आज के दौर में जहां लोग छोटी-छोटी मुश्किलों में टूट जाते हैं, अनुराग हर तकलीफ़ को मुस्कुराकर सहते रहे।
वो विज्ञान के ऐसे संप्रेषक थे, जो जटिलतम शोध को इतनी सहज भाषा में समझाते थे कि एक बच्चा भी उसे समझ सके। DD किसान चैनल की परिकल्पना हो या हिंदी में खेती पर शोध आधारित कॉलम की शुरुआत—अनुराग ने वो काम किए, जो शायद संस्थाएं भी सोचते-सोचते रह जाएं।


उनकी सोच यह थी कि विज्ञान सिर्फ़ लैब में नहीं रहना चाहिए, वो खेतों तक पहुँचना चाहिए। और यही वजह है कि उन्होंने हिंदी पत्रकारिता में बिजनेस भास्कर जैसे प्लेटफॉर्म पर किसानों के लिए एक साप्ताहिक कॉलम शुरू किया, जो ‘लैब से ज़मीन’ तक ज्ञान पहुंचाने का माध्यम बना।
वो शानदार वक्ता थे—जो बोले तो शब्द ठहर जाएं, और जो चुप रहें तो उनकी मौजूदगी बोलती रहे। उनमें सिर्फ़ ज्ञान नहीं था, उस ज्ञान को लोगों तक पहुँचाने का जुनून था।
एक दोस्त, एक शिक्षक, एक योद्धा और एक इंसान के तौर पर वो अपूरणीय थे। उनके व्हाट्सऐप स्टेटस की एक लाइन थी—”So much to do, so little time.” आज वो नहीं हैं, पर उनके किए काम, उनकी बोली बातें और उनकी मुस्कान हमेशा ज़िंदा रहेंगी।


अनुराग चले गए… लेकिन जो दीपक उन्होंने जलाया, वो अब कई और हाथों में हैं। और जब भी कोई बच्चा विज्ञान समझेगा, कोई किसान नई तकनीक अपनाएगा, कोई पत्रकार सच्चाई से डरे बिना बोलेगा—वहाँ कहीं अनुराग की रूह मुस्कुरा रही होगी।


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